‏ Mark 16

1जब सबत का दिन गुज़र गया तो मरियम मग़दलिनी और या’क़ूब की माँ मरियम और सलोमी ने ख़ुशबूदार चीज़ें मोल लीं ताकि आकर उस पर मलें। 2वो हफ़्ते के पहले दिन बहुत सवेरे जब सूरज निकला ही था क़ब्र पर आईं।

3और आपस में कहती थी“हमारे लिए पत्थर को क़ब्र के मुँह पर से कौन लुढ़काएगा।?” 4जब उन्हों ने निगाह की तो देखा कि पत्थर लुढ़का हुआ है क्यूँकि वो बहुत ही बड़ा था ।

5क़ब्र के अन्दर जाकर उन्हों ने एक जवान को सफ़ेद जामा पहने हुए दहनी तरफ़ बैठे देखा और निहायत हैरान हुईं। 6उसने उनसे कहा ऐसी हैरान न हो तुम ईसा’ नासरी को“जो मस्लूब हुआ था तलाश रही हो; जी उठा है वो यहाँ नहीं है देखो ये वो जगह है जहाँ उन्होने उसे रख्खा था। 7लेकिन तुम जाकर उसके शागिर्दों और पतरस से कहो कि वो तुम से पहले गलील को जाएगा तुम वहीं उसको देखोगे जैसा उसने तुम से कहा।”

8और वो निकल कर क़ब्र से भागीं क्यूँकि कपकपी और हैबत उन पर ग़ालिब आ गई थी और उन्होंने किसी से कुछ न कहा क्यूँकि वो डरती थीं।

9हफ़्ते के पहले दिन जब वो सवेरे जी उठा तो पहले मरियम मग़दलिनी को जिस में से उसने सात बदरूहें निकाली थीं दिखाई दिया। 10उसने जाकर उसके शागिर्दो को जो मातम करते और रोते थे ख़बर दी। 11उन्होंने ये सुनकर कि वो जी उठा है और उसने उसे देखा है यक़ीन न किया।

12इसके बा’द वो दूसरी सूरत में उन में से दो को जब वो देहात की तरफ़ जा रहे थे दिखाई दिया। 13उन्होंने भी जाकर बाक़ी लोगों को ख़बर दी ; मगर उन्होंने उन का भी यक़ीन न किया।

14फिर वो उन गयारह शागिर्दों को भी जब खाना खाने बैठे थे दिखाई दिया और उसने उनकी बे‘ऐ’तिक़ादी और सख़्त दिली पर उनको मलामत की क्यूँकि जिन्हों ने उसके जी उठने के बा’द उसे देखा था उन्होंने उसका यक़ीन न किया था। 15और उसने उनसे कहा, “तुम सारी दुनियाँ में जाकर सारी मख़लूक़ के सामने इन्जील की मनादी करो। 16जो ईमान लाए और बपतिसमा ले वो नजात पाएगा और जो ईमान न लाए वो मुजरिम ठहराया जाएगा।

17और ईमान लाने वालों के दर्मियान ये मोजिज़े होंगे वो मेरे नाम से बदरूहों को निकालेंगे; नई नई ज़बाने बोलेंगे। 18साँपों को उठा लेंगे और अगर कोई हलाक करने वाली चीज़ पीएँगे तो उन्हें कुछ तकलीफ़ न पहुँचेगी वो बीमारों पर हाथ रखेंगे तो अच्छे हो जाएँगे।”

19ग़रज़ ख़ुदावन्द उनसे कलाम करने के बा’द आसमान पर उठाया गया और ख़ुदा की दहनी तरफ़ बैठ गया। 20फिर उन्होंने निकल कर हर जगह मनादी की और ख़ुदावन्द उनके साथ काम करता रहा और कलाम को उन मोजिज़ों के वसीले से जो साथ साथ होते थे साबित करता रहा; आमीन।

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